RUMORED BUZZ ON BHOOT KI KAHANI

Rumored Buzz on bhoot ki kahani

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Bhoot ki kahani

आज भी जब हम सुनते हैं कि हमारे बच्चे पिकनिक जा रहे हैं । तब हमें हमारी पुरानी घटना याद आ जाती है। कि कैसे हम लोग बच बचाके निकल आए थे । पिकनिक के नाम से हमे आज भी बहुत डर लगता है। भगवान सबकी रक्षा करें।

और अपने अपने मन में महामृत्युंजय का जाप करने लगे। टीचर ने बोला कि यहां पर कोई बातचीत नहीं करेगा। जब तक कि सुबह ना हो जाए । हम लोग एक हफ्ते के बाद पिकनिक से लौटकर । जब स्कूल में सबसे मिले । तो यह घटना सबको बता दी ।

रमेश ने यह बात फिर से किसी को नहीं बताई, लेकिन अब उसे प्लैटफॉर्म पर ड्यूटी करने से डर लग रहा था। अगली रात रमेश एक ही जगह खड़ा रहा। उसने स्टेशन का कोई चक्कर नहीं लगाया। कुछ देर बाद रमेश के पास एक आदमी आकर खड़ा हो गया और ट्रेन के बारे में जानकारी लेने लगा। रमेश को लगा कि कुछ गड़बड़ है।

रात के दो बज रहे थे। रमेश ने देखा कि एक आदमी बेंच पर बैठा हुआ था। ठंड का मौसम था और वह आदमी ठंड से कांप रहा था। रमेश उसके सामने जाकर खड़ा हो गया और उससे पूछताछ करने लगा। कौन है भाई?

लेकिन मेरे साथ कुछ गलत नहीं हुआ। और मेरे पापा ने वह बंगला ही बदल दिया । और हम लोग फ्लैट में रहने चले गए। हमारे बाद उस बंगले में हमारे जान पहचान वाले लोग रहने आ गए उनका छोटा बेटा हमारा बड़ा अच्छा मित्र था। एक बार वह हमसे मिलने हमारे घर आया। और हम से पूछने लगा कि एक बात मैं तुमसे पूछ रहा हूं।

रमेश अपना बैलेंस नहीं बना पाया और पृथ्वी पर गिर गया। उसने ट्रेन की आवाज सुनी और घबरा गया। उसे सब धुंधला दिखाई दे रहा था। वह डर से चिल्लाने लगा। तभी रेलवे स्टेशन मास्टर प्रसाद भागा हुआ आया और उसने रमेश को पटरी से बाहर निकाला। रमेश कुछ देर तक बेहोश रहा। रेलवे मास्टर प्रसाद ने रमेश के ऊपर पानी छिड़का तो वह उठकर चिल्लाने लगा। प्रसाद ने उसे शांत किया और उसे दिलासा दिया कि वह ठीक है। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि उसके साथ यह कैसे हादसे हो रहे हैं।

उस चिट्ठी में लिखा हुआ था.कि कल जब फैक्ट्री से निकलो तो जहां पर मैं खड़ी रहती हूं वहां पर मेरा इंतजार करना उस के दूसरे दिन मैं वहां पर पहुंच गया। तो वह लड़की वहां पर नहीं खड़ी थी। मैंने काफी इंतजार किया फिर मैं अपने घर की तरफ चल दिया.

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उसने देखा कि आदमी को ठंड लग रही है। वह आदमी कुछ बोल नहीं रहा था। उस आदमी ने कुछ नहीं कहा। अरे कुछ बताओ भी कौन हो?

बस इन सबका एक ही इलाज है कि जब भी तुम्हारा ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश करें तो तुम्हें इन पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देना है और छलावे से बातें तो बिल्कुल भी नहीं करनी है। रमेश प्रसाद की बात ध्यान से सुनता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उठकर प्लैटफॉर्म पर जाने लगा। उसने देखा कि सामने से एक आदमी आ रहा है। वह आदमी और कोई नहीं प्रसाद था। रमेश को समझ नहीं आया कि प्रसाद तो उसके साथ कमरे में था। फिर ये कौन है?

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प्रसाद की लाश जोर जोर से चिल्लाने लगी। उसे कोई बचाने और वह मरना नहीं चाहता था। रमेश को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। उसने अपनी पूरी जान लगा दी। उस स्टेशन से बाहर निकलने में और घबराता हुआ रमेश उस स्टेशन से भाग गया। कुछ दिनों बाद एक नया गार्ड स्टेशन पर ड्यूटी करने आया।

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